दोस्तों में हु स्वर्णा. ये मेरी पहली कहानी है तो उम्मीद है आप सबको अच्छी लगेगी और मेरी उम्र भी आप लोगो के लिए लिखती रहूंगी।
ये कहानी कुछ ऐसी है आप सबको नाम पढ़ कर समझ आ गई होगी।
ये वहां से शुरू हुई जब शीला 20 साल की थी और उसके पिताजी के गरीबी के कारण उसकी शादी गांव के ठाकुर विजयसिंह के बेटे सुंदर से करवा दी गई थी। ये शीला की तो पहली शादी थी पर सुंदर की ये तीसरी शादी थी। उसके पहले की दोनो बीवी मार चुकी थी।
शीला अभी सिर्फ 20 साल की जवानी की जोड़ी में राखी थी। उसका योवन देख कर सुंदर ने शादी की रात जिसे हम सुहागरात कहते हैं तब खूब जम कर चुदाई की थी। और शीला की चूत की सील तोड़ी थी..
और उस रात के बाद सुंदर का जब भी जहां भी मन करता चाहे दिन हो या रात घर में कोई हो या ना हो चाहे शीला कहीं काम में हो सुंदर का जब चुदाई का मन करता वो उसको वहां से खींच ले जाता और कमरे में खूब चुदाई करता।
ठाकुर विजयसिंह अपने बेटे की ऐसी हरकतों से बहुत शर्मिंदा थे पर वो करता भी क्या। कैसे रोकता वो खुद के बेटे को उसकी बीवी की चुदाई करने से इसलिए क्योंकि वो बदनामी से बचने के चक्कर में हवेली से निकल गया ना उसने बंद कर दिया।
पर एक दिन अपनी खानदानी जागड़े में ठाकुर विजयशिंग के बेटे सुंदर की मौत कर दी गई।
बेटे के मौत के गम में ठाकुर साहब ने शराब का सहारा ले लिया। पर शीला की जवानी का क्या. उसने तो अभी-अभी चुदाई का मजा लेना शुरू किया था।
ऐसे ही देखते देखते 3 साल बीत गए। ठाकुर साहब ने तो बस अपना कमरा और शराब को अपना लिया था।
एक दिन ऐसे वह शीला जब सुबह-सुबह नहाने गए तब जब नहाते नहाते इतने दिनों बाद उसकी उंगली अपनी चूत के पास चली गई तो उसकी उंगली उसकी चूत के घने लंबे जंगल में फंस गई।
पति की देहांत के बाद शीला ने इन तीन सालों में कभी अपनी चूत के बाल साफ नहीं किए थे।
चुत में उंगली घुसा कर शीला 3 साल पहले की उसकी रोज होती चुदाई के सपने में वह खो चुकी थी कि कैसे सुंदर उसको रोज दिन रात अलग अलग तारिके से जाम कर चुदाई करता और उसकी छोटी चुत को सुजा कर लाल कर देता था।
तब सुंदर शीला की चूत पर एक भी बाल पसंद नहीं करता था और आज तो उसकी चूत पर झांटो का पूरा जंगल उगा हुआ है।
शीला तूरंत वह ख्वाबो की दुनिया से बहार आई और नहाते वह रेजर उठा कर अपनी झट साफ करने लगी।
और चुत को साफ करके शीला नंगी हे बाहर अपने कामरे में आ गई। बाकी के सामने खड़ी हो कर शीला खुद को देखने लगी कि तीन साल में उसके बदन में क्या बदल गया था। वो खुद को नंगी हे शेष के सामने निहार ने लगी।
तभी शीला फिर से पूरी यादो में खो गई और उसका हाथ अभी साफ की हुई चूत की तरफ चला गया और दूसरा हाथ उसकी चुचियों पर पहुंच गया।
शीला की दो उंगली उसकी चूत में समा गई और अपने होठों को दांतों से दबाते हुए दूसरे हाथ से अपनी चुचियों को पकड़ कर रगड़ने और दबाने लगी थी।
ना जाने क्या हुआ था कि शीला को उसके जिस्म की आग पागल किए जा रही थी।
शीला की उंगली उसकी चूत में तेजी से चलने लगी थी और आख़िर इतने सालों का सेलब शीला की चूत ने एक साथ उसे चोद दिया।
ऐसे वह इतनी थक कर शीला अपने बिस्टर पे लेट गई और जब उसको होश आया तब दोपहर हो चुकी थी। उत्ते हे शीला बहुत हल्का महसूस कर रही थी। उसको लग रहा था जैसे वो बहुत सालो की थकन भरी नींद के बाद उठी हो।
शीला बहुत खुश थी इसलिए महिनो के बाद शीला अपने कमरे से निकल कर बाहर हवेली के आंगन में टहल ने निकली थी।
शीला ने सोचा कि आज क्यों न इतने महीने बाद एक बार पिताजी को भी देख और उनकी तबीयत पूछ आओ।
आप सब ये सोच रहे हो ना शीला एक हे हवेली में रह कर ऐसा क्यों कि महिनो तक अपने कमरे से नहीं निकली।
बात ये थी कि शीला अपने पति की मौत के बाद बहुत दुखी रहती थी। उसने खुद को अपने कमरे में बंद करके रखा हुआ था।
जब शीला पिता जी के कमरे की तरफ चल पड़ी और जैसे उन्होंने अपने ससुर ठाकुर साहब के कमरे में जोड़ी रखी वो मानो जैसे अंदर का नजारा देख के वही जम सी गई हो। उसके तो होश उड़ गए।
ठाकुर विजयशिंग जिनके सामने कोई खड़े रहने की हिम्मत नहीं करता था, आज वो कमरे में नशे की हालत में धुत पड़े हैं जमीन पे और कमरे में हर तरफ सिर्फ शराब की बोतल पड़ी है।
सारे कमरे में सिर्फ शराब की बहुत गंदी गंध आ रही थी।
शीला को अपने ससुर की ऐसी हालत देख कर खूब रोना आ गया। उसने ठाकुर साहब को बहुत आवाज लगाई पर उनको एक ना सुन्नी।
सुनते भी कैसे इतने नशे की हालत में धुत जो थे। तभी शीला ने नीचे झुक कर अपने ससुर का हाथ पकड़ा और उन्हें उठाने की कोशिश करने लगी पर वो बिल्कुल हिल भी नहीं पाए।
फिर शीला ने फिर से उन्हें कमर से पकड़ कर उठाया कि कोशिश की मगर तब भी वो उन्हें नहीं उठा पाई।
ऐसे वह उठने के चक्कर में ठाकुर साहब का मोटा लंबा लंड अचानक से वह उनकी धोती खुल ने की वजह से बाहर आ गया।
शीला की नज़र जैसे हे ससुरजी के लंड पर पड़ी उसका चेहरा एक दम हे लाल हो गया। होता भी क्यों नहीं इतने सालो बाद शीला ने एक लंड जो देखा था।
अब इतने सालो बाद क्यों ना ससुरजी का हे लंड हो पर तो लंड हे ना जो शीला सुबह से वह चाह रही थी। शीला वही नीचे बैठ गई और ठाकुर साहब का लंड देखने लगी उसको निहारने लगी।
तभी शीला ने फिर से ठाकुर साहब को आवाज लगाई पर उन्हें नहीं सुनना। शीला की जवानी की आग उस दिन ऐसी थी कि वह भड़की हुई थी और उसका वक्त उसके सामने एक इतना मोटा लंबा लंड भी था।
शीला ने ससुरजी के लंड को हाथो में पकड़ लिया अपनी मुट्ठी में और तभी लंड किसी परिंदे की तरह पूरी तरह से फैनफनाने लगा।
शीला के सहलते ससुरजी का लंड पूरा आकार में आ चूका था। पूरा 11 इंच लंबा और 4.5 मोटा और झटके खाने लगा था।
शीला के तो पूरी तरह से टूटे उसने लंड को देख कर उड़ा दिया। उसके पति का लंड भी 5 इंच से बड़ा नहीं था और अभी ससुरजी का इतना मोटा लंबा लंड उसकी आँखों के सामने था लेकिन ठाकुर साहब अभी भी नशे में पड़े थे।
शीला ससुरजी के लंड को देखती वह जा रही थी और ना जाने शीला के मन में क्या आया उसने अपनी साड़ी और पेटीकोट पूरा ऊपर उठाया और अपनी उंगली से चूत के द्वार को खोल कर ससुरजी के लंड पे बैठने की कोशिश करने लगी।
बहुत मेहनत के बाद भी जब लंड चुत में नहीं घुस रहा था और शीला बुरी तरह से तड़प रही थी तभी उसने सोचा आज चाहे जितना दर्द हो चाहे चुत फट के भोसड़ा बन जाए पर ससुरजी का इतना मोटा लंबा लंड तो लेके रखूंगी।
उसने देखा कि उसने अपनी चूत में उंगली घुमाई, थूक लगा कर और चूत के मुंह को लंड पे सेट कर के जोर से खुद को झटके के साथ एक बार में ससुरजी के लंड पे बैठ गई।
ठाकुर साहब का 7 इंच का लंड एक बार में शीला की चूत को चीरता हुआ फट गया उसकी चूत में चला गया।
लंड अंदर जाते ही शीला बहुत जोर से चिल्ला उठी और रोने लगी और थोड़ी देर भी हो चुकी थी।
इतने सालो बाद लंड मिला था और वो भी इतना लम्बा मोटा लंड उसके अपने ससुरजी का।
शीला की चूत से खून निकल आया था और उसको बहुत दर्द हो रहा था। वो रोए और चिल्लाए जा रही थी। आअहह माआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआएएएएएएएए चुड गेइइइन में आहाह आअहह फट गईई मेरी चूत ससुरजी, आहाहा आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआअ के… ऐज़ अपन हे ससुर के लंड से, आज मेरी चूत बन गई, फट गई, फट गई मेरी चूत में लंड।
इतना सब हुआ शीला चिल्ला रही थी, रो रही थी, लंड पे उछल रही थी। लंड बहू की चूत में अंदर बाहर हो रहा था पर ठाकुर साहब को अभी भी कोई होश नहीं था। वो वही नशे में धुत पड़े थे और उनकी बहू शीला उनके लंड से चुद रही थी।
शीला अब शुद्ध जोश में तेजी से ससुरजी के लंड पे कूदने लगी और लंड को चूत में लेने लगी पर उसकी चूत में अभी भी बहुत दर्द था।
बहू ससुरजी के लंड पर कुद रही थी पर ससुरजी बेहोशी में पड़े थे ये सोच सोच कर उसने शीला को और गरम कर दिया था और उसका मजा बढ़ रहा था।
ठाकुर साहब का लंड किसी खुटे या पाइप की तरह खड़ा था और शीला भी अब अपने ससुर के लंड का पूरा मजा लेने लगी थी पर वो चाहे शीला चाहे जितनी मेहनत कर ले ठाकुर साहब का पूरा लंड लेने की तरह 9 इंच से ज्यादा उसकी चूत में जा नहीं रहा था।
शीला ने चुदाई रोक कर उठ कर जा के कमरे का दरवाजा बंद किया और अंदर आ कर अपने सारे कपड़े उतार दिये। नंगी हो कर वो फिर से लंड से खेलने लगी उसको सहलाने लगी।
वो फिर से अपने ससुर के लंड पे बैठ गयी और चूत चुदवाने लगी। ऐसे वह कुछ एक घंटे तक चुदती रही थी लंड अंदर बाहर लेके।
एक घंटे बाद भी ठाकुर साहब का लंड वैसे का वैसा था, कदम लंबा जैसे लोहे का बना हो पर शीला की चूत तब तक 4 बार जोरो जोरो से झड़ चुकी थी।
वैसे भी ठाकर साहब के लंड के सारे गांव में बहुत चर्चे थे और शीला भी अपनी सास के साथ बहुत कुछ सुन चुकी थी।
आख़िर देद घंटे की चुदाई के बाद जब उसको लगा अब ठाकुर साहब का लंड बहुत सारा माल निकल ने आया है तब उसने और जोर लगा कर लंड को बछेदानी तक लेके गई और ठाकुर सबा ने भी अपनी बहू शीला की चूत में और बछेदानी में सारा माल चोद दिया।
शीला की पूरी चूत ससुर के माल से भर चुकी थी और उससे अच्छी तरह बचदानी में भी गरम वीर्य महसस हो रहा था।
वो उस वक्त बहुत ज्यादा थक चुकी थी इसलिए वो लंड को चूत में रख कर ससुरजी पे निढाल हो गई और ऐसे वो उसकी खत्म हो गई।
और अब इसी तरह रोज रोज सुबह दोपहर शाम शीला ससुरजी को शराब पिला पिला उनकी नशे की हालत का फायदा उठा कर खुद की चूत चुदवाती रही।
ऐसे वह कुछ 4-5 महीने से चुदवाते हैं, एक दिन उसको पता चला कि वो माँ बन ने वाली है वो अपनी ससुरजी से प्रेग्नेंट हो गई है और उनके बच्चे को जन्म देने वाली है।
तभी उसके दिमाग में आया कि ऐसे वो इस गांव में अपने बच्चे को जन्म नहीं दे सकती। उसने बहुत सोचा और तभी उसने कुछ दिनो में गांव में सब से कह दिया कि वो अपने ससुरजी के नशे का इलाज करवाएं उन्हें एक बड़े शहर ले जा रही है।
कुछ दिनों बाद वो दोनों एक शहर में रहने चले गए पर शीला ने अपने ससुरजी का कोई इलाज नहीं करवाया बस उन्हें शराब पिला कर खुद की चूत को शांत करती रही और उनके बच्चे की माँ बनती रही। ऐसे वह आज उनके घर में दो लड़के पैदा हो चुके हैं।
शीला अभी भी खूब जम कर अपने ससुर से चुदवाती रहती है।
ये कहानी यहाँ ख़तम हो रही है पर ऐसे ही अच्छी-अच्छी अनाचार कहानियाँ लिखती रहूंगी आप सब के लिए।

