ट्रेन Xxx चुदाई कहानी में मैंने स्लीपर में ऊपर वाली बर्थ पर एक जवान आंटी को चोदा. उनके पास सही टिकेट नहीं थी, मैंने उन्हें अपने साथ सुला लिया था.
मैं विराट एक बार फिर से हाजिर हूँ. मैं आपको ट्रेन में मिली एक आंटी के साथ हुई चुदाई की कहानी के बारे में लिख रहा था.
कहानी के पहले भाग
जवान आंटी की मदद की ट्रेन में
में अब तक आपने पढ़ा था कि आंटी ने मुझे अपने साथ चिपका लिया था.
अब आगे ट्रेन Xxx चुदाई कहानी:
थोड़ी देर बाद आंटी के उस हाथ में दर्द होने लगा जो मेरे सर के नीचे रखा हुआ था.
उन्होंने मुझे देखा कि मैं सोया हूँ या नहीं.
मैं जगा हुआ था तो आंटी ने पूछा- क्या हुआ, सोये नहीं. कुछ दिक्कत हो रही है क्या?
उस वक्त शायद आंटी को याद आया तो उन्होंने मेरी छाती पर रखा हुआ अपना हाथ हटाया और जो एक टांग मेरे ऊपर रखी हुई थी, उसको हटा लिया.
उन्होंने मुझसे सॉरी कहा और बोलीं- मुझे ऐसे सोने की आदत है … दरअसल मैं अपने टेडी बियर के साथ चिपक कर ऐसे ही सोती हूँ.
मैंने उनकी बात को अनसुना करते हुए कहा- मैं बाथरूम से आता हूं.
वे बोलीं- बाथरूम तो मुझे भी जाना है. बड़ी देर से जाने की सोच रही थी लेकिन चढ़ने उतरने के चलते बार बार रह जा रही थी.
मैंने कहा- तो चलो, आ जाओ. चढ़ने उतरने में मैं आपको मदद दे दूंगा.
मैं पहले नीचे उतरा और आंटी पीछे से उतर आईं.
मैंने उनको हाथ से सहारा दिया था तो उतरते समय मेरे हाथ से उनका एक दूध दब गया था.
वे कुछ नहीं बोलीं बल्कि उन्होंने मुझे और जोर से पकड़ लिया था.
नीचे उतरते ही आंटी ने मेरा खड़ा हुआ लंड देख लिया.
बल्कि यूं कहूँ कि आंटी की नजर मेरे लौड़े के ऊपर ही लगी थी.
फिर मैं आगे आगे बढ़ा और बाथरूम के पास आ गया.
आंटी बोलीं- पहले मैं चली जाती हूँ. तुम बाहर ही खड़े रहना प्लीज.
यह औरतों की आदत होती है कि जब वे बाथरूम में जाती हैं, तो किसी एक को साथ ले जाती हैं और उसे बाहर ही खड़ा रहने के लिए कहती हैं.
इसलिए मैंने आंटी से हां कह दी.
मैं आंटी के बाहर आने का इंतजार करने लगा.
दस मिनट के बाद वे बाहर आईं.
उनका चेहरा पसीने से भीगा हुआ था.
मुझे भी समझ में नहीं आया कि उन्हें पसीना क्यों आ रहा था.
उनके आने के बाद मैं अन्दर गया और जल्दी से लंड हिलाकर सूसू की और बाहर आ गया.
हम दोनों वापस अपनी बर्थ के पास आए और आंटी ऊपर चढ़ने लगीं.
उनकी गांड को देख कर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
आंटी की गांड इतनी मस्त थी कि मन हो रहा था कि ऊपर जाकर उनकी साड़ी उठाऊं और लंड पेल कर चुदाई चालू कर दूँ.
लेकिन मैंने कंट्रोल किया और उन्हें ऊपर चढ़ाने के बाद मैं भी ऊपर आ गया.
हम दोनों फिर से वैसे ही लेट गए.
कुछ देर बाद आंटी ने पूछा- मेरी वजह से नींद नहीं आ रही है न?
मैंने कहा- नहीं, ऐसा नहीं है आंटी.
उन्होंने कहा- चलो कुछ बात करते हैं.
फिर हम दोनों सीधे लेट गए.
उन्होंने अपना नाम सुधा बताते हुए कहा कि उनके पति सरकारी नौकरी में हैं.
उनका ट्रांसफर मेरे ही शहर में हुआ था.
उनके दो बच्चे हैं.
आंटी अपने पति से मिलने गई थीं.
उन्होंने मुझे अपने बारे में और भी बहुत कुछ बताया.
उनकी बातों से ये जानकारी मिली कि उनके पति उन पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं. उन्हें बस अपने काम से मतलब रहता था और कुछ नहीं.
ये सब बताती हुई आंटी एकदम भावुक हो गई थीं.
अपने जीवन की बातें सोच सोच कर वे उदास हो गई थीं और रोने लगी थीं.
मैंने कहा- आप रोओ नहीं.
वे बोलीं- रोओ नहीं तो क्या करूं. मैंने अपनी पूरी जिंदगी पति और बच्चों के नाम कर दी … और मिला? क्या कुछ नहीं.
मैं उठ कर बैठ गया.
वे भी उठ गईं. वे बोलीं- क्या हुआ … सॉरी मैंने अपनी बोरिंग कहानी सुना दी तुमको. चलो सो जाओ.
कुछ देर बाद हम दोनों वापस लेट गए.
लेट कर अब आंटी मुझसे मेरे बारे में पूछने लगीं.
मैंने भी सब बताते हुए कहा- मुझे अपना रूम चेंज करना है, तो वही करने जा रहा हूं. उधर अभी रूम भी ढूंढना है.
आंटी बोलीं- तुम्हें रूम कहां चाहिए?
मैंने बताया.
वे बोलीं- ओके मैं देखती हूं, मैं भी देख कर बताऊंगी.
फिर उन्होंने मेरा नंबर लिया और सेव कर लिया.
मैंने भी उनका नंबर सेव कर लिया. मैंने सुधा आंटी के नाम से उनका नंबर सेव कर लिया.
यह उन्होंने देख लिया था तो वे बोलीं- मैं आंटी दिखती हूँ ना!
मैंने कहा- आप मेरे लिए तो आंटी ही हैं न … मैं और कैसे नाम सेव करूं?
वे बोलीं- क्या हम दोस्त बन सकते हैं?
मैंने हां बोला.
वे बोलीं- ओके तो लिखो सुधा सिंह.
मैंने नाम एडिट कर लिया.
आंटी बोलीं- गर्लफ्रेंड है?
मैंने कहा- नहीं.
उन्होंने पूछा- क्यों नहीं है?
मैंने कहा- पहले थी, ब्रेकअप हो गया कुछ समय पहले.
उन्होंने ‘सो सैड’ बोला.
अब रात का एक बज गया था.
मैंने कहा- फिल्म देखोगी आप?
उन्होंने पूछा- कौन सी?
मैंने कहा- हॉलीवुड की है.
वे बोलीं- ओके लगाओ.
उस समय मैं एक बहुत ही हॉट फिल्म देख रहा था.
हम दोनों मस्ती से उसे देखने लगे थे.
थोड़ी देर बाद ही चुंबन, रोमांटिक और सेक्स सीन आने लगे.
अब मैं असहज होने लगा.
उस समय आंटी मेरी तरफ करवट लेकर लेटी हुई थीं.
उन्होंने अपनी एक टांग मेरी जांघ पर रख ली और टांग से टांग को सहलाने लगीं.
उधर सेक्स सीन कुछ ज्यादा आए तो मैंने फिल्म आगे बढ़ा दी.
वे बोलीं- आगे क्यों बढ़ा रहे हो … तुम्हें ये सब पसंद नहीं है क्या?
मैंने कहा- आपके कारण बढ़ा रहा था.
मैंने इतना ही बोला था कि वे मुस्कुराने लगीं.
तो मैंने भी हंस कर दिखा दिया.
अब वे मेरा एक हाथ अपने बूब्स के बीच में रख कर दबा रही थीं और अपने होंठों को काट रही थीं.
उनकी सांसें तेज हो रही थीं और सीधे मेरे चेहरे पर आ रही थीं.
मेरा भी लंड खड़ा हो चुका था और मन कर रहा था कि उनको पकड़ लूं; उनके होंठों को चूमने का दिल करने लगा था.
आंटी समझ गई थीं.
उन्होंने पहले तो अपनी एक जांघ मेरे लंड के पास रख कर लंड को टच किया.
फिर उन्होंने मेरी कमर को पकड़ कर कहा- विराट, मुझे नींद आ रही है और ठंड भी लग रही है. अब फिल्म नहीं देखना है, चलो सो जाते हैं.
मैंने भी झट से फोन जेब में रख लिया.
अब जैसे ही मैं हिला, आंटी ने मुझे कमर से पकड़ कर अपनी तरफ कर लिया.
मैं भी आंटी के मुँह की तरफ अपना मुँह करके लेट गया.
मेरा लंड उनकी साड़ी के ऊपर लगने लगा था. मेरा सीना आंटी की चूचियों से एकदम चिपक गया था.
मेरे होंठ आंटी के होंठों के पास थे.
हम दोनों की सांसें तेज चल रही थीं.
उन्होंने मेरा हाथ अपनी पीठ पर ले लिया और बोलीं- विराट मुझे ठंड लग रही है … प्लीज अपने हाथ से थोड़ा रगड़ करो ना मुझे!
इसी के साथ आंटी ने मेरे होंठों पर अपने होंठों को रख दिया.
वे अपनी टांगें कुछ इस तरह से मेरे ऊपर रखी हुई थीं कि उनकी चूत मेरे लंड से रगड़ने लगी थी.
अब मुझसे भी नहीं रहा गया.
पहले तो मैंने उनकी पीठ को रगड़ा, फिर मैं होंठों को चूमने लगा.
आंटी भी मेरे होंठों को चूसने लगी थीं.
मैंने उनकी गांड पर अपना हाथ रख दिया और उन्हें अपने जिस्म से चिपका कर चुंबन करने लगा.
आंटी बेकाबू होने लगी थीं.
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरे कान में बोलीं कि अपना हाथ साड़ी के अन्दर डालो.
मैंने उनकी साड़ी को उनकी जांघों तक उठा दिया और जांघों को सहलाने लगा.
इससे आंटी पागल होने लगीं.
वे थोड़ी ऊपर को हुईं और मेरा चेहरा अपने मम्मों में घुसाती हुई बोलीं- मेरा ब्लाउज खोल दो.
मैंने उनका ब्लाउज खोल दिया.
वे बोली- अब दूध पियो.
मैं उनकी कॉटन वाली पिंक ब्रा के ऊपर से दूध पीने लगा.
वे बोलीं- ब्रा को ऊपर कर लो ना!
मैंने कहा- रुको जरा.
मैंने उनकी ब्रा को ऊपर किया और जैसे ही उनके एक निप्पल पर मेरी जीभ लगी.
आंटी के मुँह से बहुत मस्त ‘आआह मर गई …’ की आवाज निकली.
उन्होंने मेरा मुँह अपने दूध में दबा दिया और कहने लगीं- आह चूस लो विराट … आह बड़ा अच्छा लग रहा है.
मैं उनके दूध को दबा दबा कर निप्पल पी रहा था. साथ ही मैं उनके दूध को काट भी ले रहा था जिससे उनको भरपूर मजा आ रहा था.
आंटी मेरे एक हाथ को पकड़ कर अपनी चूत के पास ले गईं.
मैंने भी उनकी चूत को हाथ से सहलाना शुरू कर दिया.
साथ ही मैंने दूसरे दूध के निप्पल को अपने होंठों की जद में लिया और चूसने लगा.
उसी समय आंटी ने अपने पैरों को पूरा खुला कर दिया और मैंने पैंटी के अन्दर हाथ डाल कर चूत पर झपट्टा मारा.
उनकी चूत गीली हो चुकी थी, एक उंगली तो ऐसे घुस गई जैसे कुछ हुआ ही न हो.
मैं उनकी चूत में फिंगरिंग करने लगा.
आंटी की आंह अंह निकलने लगी.
मैं जितनी जोर से आंटी के दूध के निप्पल को खींचता, आंटी उतनी ही ज्यादा पागल हो जातीं.
चूचे चूसने के साथ साथ चूत में उंगली का आतंक भी कायम था.
तो स्थिति आंटी की सब्र से बाहर हो गई थी.
उन्होंने सीधा मेरे लोअर को दोनों तरफ से पकड़ा और उसे नीचे सरका कर मेरा लंड निकाल लिया.
लंड भी एकदम तना हुआ था तो आंटी ने उसे अपनी चूत के पास लगाया और लौड़े के सुपारे से चूत की फांक को रगड़ने लगीं.
जगह तो कम थी ही … इसलिए लंड ने चूत में डुबकी लगाना शुरू कर दी थी.
ऊपर से आंटी मेरे लौड़े को अपनी चूत में घुसड़वाने के लिए मेरे ऊपर चढ़ी जा रही थीं.
वे बोलीं- अब अन्दर डालो ना!
मैंने कहा- मेरे पास कंडोम नहीं है.
आंटी बोलीं- बिना कंडोम नहीं करोगे क्या … प्लीज़ मान जाओ ना!
मैंने कुछ नहीं कहा.
आंटी- तुम टेंशन नहीं लो. मैंने अपने पति के अलावा अभी तक किसी का भी लंड नहीं लिया है. पति ने भी पिछले एक साल से नहीं पेला है. इस बार भी मैं चुदने ही गई थी कि कुछ तो करेगा, पर साले ने कुछ नहीं किया. अब प्लीज तुम पेल दो ना.
मैंने जरा सा जोर लगाया तो लंड अन्दर सरक गया.
लंड पेलने के साथ ही मैं आंटी के ऊपर चढ़ गया और मेरा पूरा लंड आंटी की चूत में घुस गया.
अब ट्रेन की स्पीड के साथ मैच करते हुए ट्रेन Xxx चुदाई का सफर भी शुरू हो गया था.
सीट पर ज्यादा जगह तो नहीं थी पर आंटी ने अपनी दोनों टांगों को भरपूर फैला रखा था और मैं उनकी टांगों के बीच में लंड पेले हुए सटासट करने लगा.
दस मिनट में ही मेरा काम लगने वाला हो गया था, मैं निकलने वाला हो गया था.
इसका एक कारण ये भी था कि आंटी ने पहले ही मेरे लंड को इतना रगड़ा और मसला था कि लौड़े की हालत एकदम पानी पानी हो गई थी.
मैंने कहा- रस टपकने वाला है.
आंटी बोलीं- गिरा दो … बहुत दिनों से सूखा है मेरा खेत!
बस मैंने भी बिंदास झटके मारे और रस गिरा दिया.
ट्रेन में मैंने पहली बार सेक्स किया था.
एक अजीब सी स्थिति भी थी लेकिन मजा बहुत आया.
मन ही नहीं कर रहा था कि लंड को निकालूँ.
पर लंड खुद ही सिकुड़ कर बाहर आ गया और मैं आंटी के ऊपर से हट कर उनके बाजू में लेट गया.
मैंने अपना लोअर ऊपर किया.
आंटी ने साड़ी ठीक की.
वे मुझे किस करती हुई बोलीं- थैंक्यू तुमने मेरी बहुत मदद की. तुमने आज का दिन भी बड़ा विशेष बना दिया है … धन्यवाद.
मैंने कहा- कोई बात नहीं आप खुश हो, मेरे लिए यही बड़ी बात है.
वे बोलीं- हां तुमने मेरी बहुत मदद की. अब ये उधार मैं दिल्ली आकर चुकाऊंगी.
मैंने कहा- इसकी कोई जरूरत नहीं है.
वे बोलीं- नहीं, जरूरत है.
फिर एक पल बाद आंटी मुझे अपने गले से लगा कर बोलीं- अब सो जाओ.
यह कह कर उन्होंने अपने एक दूध का निप्पल मेरे मुँह में दे दिया और बोलीं- सो जाओ.
मैं भी आंटी का दूध चूसते हुए सो गया.
सुबह हो गई थी, सब लोग उतरने के लिए तैयार हो रहे थे, तब मेरी नींद खुली.
मैंने आंटी को उठाया.
आंटी ने ब्रा ब्लाउज सब सही किया और नीचे आ गईं.
कुछ ही देर बाद स्टेशन आ गया और हम दोनों उतर गए.
अगली सेक्स कहानी में आंटी ने दिल्ली में अपना कर्ज उतारने के लिए मुझे किस तरह से धन्यवाद दिया, वह सब लिखूँगा.
इस ट्रेन Xxx चुदाई कहानी पर अपने विचार मुझे बताएं.
अपने मेल जरूर करें.
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मकान मालकिन पटकर चुद गयी
हॉट भाभी Xxx स्टोरी में मेरे मकान मालिक की जवान बीवी की चुदाई अच्छे से नहीं होती थी. मैं उसके बाजार के काम कर देता था तो हम दोनों दोस्त बन गए.
दोस्तो, मैं यश जोधपुर से हूँ.
मेरी उम्र 30 साल है और हाईट 5’7″ है.
यह हॉट भाभी Xxx स्टोरी मेरे और मेरी मकान मालकिन के बीच की है.
मैंने उनको कैसे पटाया और चोदा, उसका वर्णन आप मेरी इस पहली सेक्स कहानी में पढ़ने वाले हैं.
मैं अपने एक दोस्त के साथ जोधपुर में किराए के मकान में रहता हूँ.
मेरे मकान मालिक की फैमिली में उनके 2 छोटे बच्चे हैं. वे स्कूल जाते हैं.
घर पर उनकी वाइफ रहती हैं.
मकान मालिक का खुद का कारोबार है. उसमें ज्यादातर टूर का ही काम रहता है.
हमने ऊपर वाला रूम किराये पर लिया है और उसका रास्ते अन्दर और बाहर दोनों तरफ से है.
एक दिन मकान मालिक ने हम दोनों से कहा- मैं 15 दिन के लिए टूर पर जा रहा हूँ. आपकी भाभीजी को किसी भी चीज की जरूरत हो, तो प्लीज लाकर दे देना.
हम दोनों ने हामी भर दी.
मेरा दोस्त बोला- ठीक है भैया … आप आराम से जाओ किसी बात की चिंता मत करना. हम दोनों हैं, सब देख लेंगे.
अब मैं आपको मकान मालकिन के बारे में बता दूँ.
उनका नाम कविता है और उनकी उम्र 35 साल होगी.
उनका बदन 34-30-36 आकर का है.
देखने में वे कांटा माल हैं.
भैया के जाने के 4 दिन बाद भाभीजी को मार्केट जाना था.
उस दिन मैं घर पर था और दोस्त ड्यूटी पर गया हुआ था.
तब भाभीजी ने मुझसे कहा- यश आप मेरे साथ मार्केट चल सकते हो क्या?
मैंने कहा- हां, क्यों नहीं भाभी जी.
हम दोनों बाइक लेकर जोधपुर के त्रिपोलिया साइड में जा रहे थे.
वहां पर भीड़ के कारण मुझे बार बार बाइक के ब्रेक लगाने पड़ रहे थे.
उस वजह से भाभीजी के बूब्स बार बार मेरी पीठ से टच हो रहे थे.
उनकी रसीली चूचियों का स्पर्श होने से मुझे मजा आने लगा था.
ऐसे ही ब्रेक लगाते और चूचों की रगड़ का मजा लेते हुए मैं भाभी के साथ मार्केट में पहुंच गया.
वहां से भाभीजी ने सामान लिया और हम दोनों वापस रवाना हो गए थे.
वापस आते समय भी ब्रेक मारने पड़ रहे थे.
इस बार भाभीजी मेरी पीठ से चिपक कर बैठ गई थीं.
उनका एक हाथ भी मेरे कंधे पर आ गया था.
फिर मैंने भाभीजी से कहा- भाभी जी, आप कुछ पियेंगी?
वे कहने लगीं- क्या पिला रहे हो?
मैंने कहा- चलो जूस पीते हैं.
भाभीजी ने कहा- हां चलो.
हम दोनों जूस वाली दुकान पर चले गए.
जूस पीते पीते मैंने भाभीजी से पूछ लिया- भाईसाहब आपको 15 दिन तक अकेले छोड़ कर चले जाते हैं, तो आपका मन कैसे लगता है?
तब उन्होंने कहा- उनका काम सिर्फ पैसे कमाने का रह गया है … उनका और कहीं ध्यान ही नहीं रहता है.
यह कहती हुई भाभीजी थोड़ी उदास हो गईं.
मैंने उनसे कहा- अरे आप टेंशन मत लो, जो होगा अच्छा ही होगा.
वे कहने लगीं- अरे क्या अच्छा होगा, जब समय ही बीत जाएगा, तब क्या बचेगा.
उनकी बात का मर्म मैंने खूब समझ लिया था कि जवानी का मजा बुढ़ापे में कैसे लिया जा सकता है.
यही समझ कर मैंने बोल दिया- आप चिंता क्यों करती हैं भाभी, मैं हूँ ना आपका देवर. कभी किसी भी चीज की जरूरत हो तो मुझे बता दीजिएगा.
इस पर भाभी जी हंसने लगीं और मुझे देखने लगीं.
उनकी आंखों की शोखी बता रही थी कि वे मुझे परखने को रेडी हैं.
फिर इसी तरह की चुहलबाजी के चलते जूस खत्म किया और हम दोनों ने वापस अपनी चिपक कर बैठने वाली पोजीशन बनाई और इस बार भाभी ने कुछ ज्यादा ही अपनापन दिखाते हुए मुझे अपने हाथ से पकड़ लिया.
उनकी चूचियों का रस लेता हुआ मैं उन्हें लेकर घर वापस आ गया.
घर पर आकर भाभीजी ने बोला- यश, आप अपना नम्बर मुझे दे दो.
मैंने झट से अपना नम्बर भाभी को दे दिया.
रात को मैं व्हाट्सअप चला रहा था.
तब भाभी का मैसेज आया- हाय.
मैंने नंबर की प्रोफाइल चैक की, तब पाया कि ये भाभीजी थीं.
मैंने भी झट से मैसेज किया- हां जी भाभीजी!
उनका फिर से मैसेज आया- सोये नहीं क्या?
तो मैंने रिप्लाई दिया- नहीं भाभी जी … अभी नहीं सोया हूँ.
भाभी- किससे बातें कर रहे हो?
मैं- एक फ्रेंड से.
भाभीजी- फ्रेंड से या गर्लफ्रेंड से!
मैं- नहीं भाभी जी, फ्रेंड से ही कर रहा हूँ.
भाभीजी- क्यों, आपकी गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
मैं- नहीं भाभीजी, ऐसा कुछ नहीं है.
भाभीजी- झूठ मत बोला करो, आपकी गर्लफ्रेंड नहीं हो, ऐसा हो नहीं सकता है.
मैं- अरे भाभी जी विश्वास कीजिए … मुझे अभी तक वैसी कोई मिली ही नहीं, जैसी मुझे चाहिए.
भाभीजी- हम्म … कैसी चाहिए?
मैंने समझ लिया कि भाभी मूड में हैं इसलिए मैंने लिख दिया कि आपकी जैसी मिल जाए.
भाभीजी- आप मज़ाक अच्छा करते हो.
मैं- नहीं भाभी, मैं मज़ाक नहीं कर रहा … सच कह रहा हूँ.
भाभीजी- अच्छा आपको मेरी जैसी चाहिए … मतलब आपको मैं पसंद हूँ.
मैंने झौंक में लिख दिया- हां जी.
भाभीजी- ठीक है यश, अभी उनका कॉल आ रहा है … मैं बाद में बात करती हूँ.
यह बोल कर भाभीजी ने मैसेज लिखना बंद किया और शायद अपने पति से बात करने के बाद सो गईं.
सुबह हुई, तो मैं उनसे काम पर जाते वक़्त मिला और हैलो बोला कर पूछा- भाभी जी कुछ लाना है क्या मार्केट से?
तब भाभीजी ने कहा- अगर कुछ लाना होगा, तो मैं आपको मैसेज कर दूंगी.
मैंने बोला- हां ठीक है भाभीजी.
दोपहर में मेरे फ्रेंड का कॉल आया.
उसने बताया कि दादाजी की तबियत बहुत ज्यादा खराब है, मैं गांव जा रहा हूँ.
मैंने कहा- ठीक है.
शाम को भाभीजी ने सब्जी लाने के लिए मैसेज किया और लिखा- आपके साथ वाले विजय जी गांव चले गए हैं, आज आप खाना मेरे यहां खा लेना.
मैंने कहा- अरे आप क्यों तकलीफ कर रही हो भाभीजी, मैं बना लूंगा.
उन्होंने कहा- इसमें तकलीफ की क्या बात है, मैं भी आपको काम बताती हूँ … तब आप करते ही हो न!
मैंने कहा- ओके भाभी.
फिर जब मैं घर गया तो मैंने सब्जी का थैला भाभी को पकड़ा दिया और फ्रेश होने ऊपर चला गया.
गर्मी बहुत थी तो स्नान करके ऐसे ही लेटा हुआ था.
तब भाभीजी का मैसेज आया- ऊपर अकेले हो, नीचे आ जाओ … और हां अन्दर वाले रास्ते से आना, वह खुला है.
मैं अन्दर वाले रास्ते से नीचे चला गया.
भाभीजी ने उस समय मैक्सी पहनी हुई थी, क्या मस्त माल लग रही थीं.
मैंने नीचे जाकर पूछा- बच्चे कहां गए भाभी?
तब उन्होंने बताया- दोनों बच्चे उनके मामा के घर गए हैं क्योंकि कल संडे है इसलिए वे जाने की कह रहे थे.
अब हम दोनों बातें करने लगे.
फिर भाभीजी ने पूछा- आप रात में क्या बोल रहे थे कि आपकी जैसी मिली नहीं और मेरी जैसी आपको पसंद है … वह सब क्या कह रहे थे?
मैंने उनके मूड को भांप लिया और कहा- हां, आपकी जैसी ही मुझे पसंद आने वाली है. काश आप मिल जातीं, तो मैं तो आपको छोड़ कर कभी कहीं नहीं जाता. हमेशा आपके साथ ही रहता.
भाभीजी ने कहा- ऐसा आपको मेरे में क्या पसंद आ गया है?
तब मैंने बोला- आपका तो मुझे सब कुछ पसंद है.
तो भाभीजी ने पूछा- सबसे ज्यादा क्या पसंद है?
मैंने कहा- आपके बूब्स.
तो भाभीजी ने बोला- हां उस दिन मार्केट गए थे तो क्या इसी लिए बार बार ब्रेक मार रहे थे आप?
मैं हंसने लगा और भाभीजी भी हंसने लगीं.
मैंने उसी टाइम भाभीजी का हाथ पकड़ कर बोल दिया- आई लव यू भाभीजी.
भाभीजी ने बोला- लव भी करते हो और भाभीजी भी बोलते हो!
तब मैंने बोला- आई लव यू कविता!
फिर उन्होंने भी कहा- लव यू टू यश!
भाभीजी को मैंने पकड़ कर किस कर दिया और भाभीजी खुद साथ देने लगीं.
उस समय भाभीजी ने कहा- यश अपने पास पूरी रात पड़ी है, पहले खाना खा लेते हैं.
हम दोनों ने साथ में खाना खाया.
उस समय बातों बातों में भाभीजी ने बोला- विजय जी जा रहे थे, तभी मैंने बच्चों को ननिहाल भेज दिया था … आज आपसे मिलना था ना इसलिए!
खाना के बाद कविता भाभी बर्तन धो रही थीं.
तब मैं उनके पीछे गया और उनको पकड़ कर किस करने लगा.
मैं उनसे चिपका हुआ था, तो मेरा लंड कविता भाभी की गांड में घुस रहा था.
मेरे लंड ने अकड़ना शुरू कर दिया था और भाभी को लौड़े की सख्ती का अहसास होने लगा था.
वे मेरे साथ मस्ती से चिपकी हुई थीं और उनके दोनों चूतड़ों की गर्मी मेरे लौड़े में सनसनी भर रही थी.
ऐसे ही हम दोनों चिपक कर बातें कर रहे थे.
भाभी ने अपना काम खत्म करके कहा- चलो कमरे में चलते हैं.
हम दोनों उनके रूम में आ गए.
रूम में आते ही मैंने भाभी की मैक्सी उतार दी.
अब कविता भाभी सिर्फ मैक्सी में थीं.
उन्होंने नीचे कुछ नहीं पहना था.
मैंने पूछा- अन्दर कुछ नहीं पहना?
वे हंस कर बोलीं- वैसे भी तुम सब उतारने वाले थे तो क्यों पहनना!
हम दोनों हंसने लगे.
मैं कविता भाभी को किस करने लगा.
वे भी पूरी गर्मजोशी से मेरा साथ दे रही थीं.
मैं उन्हें लिप किस करता रहा और उनके दूध सहलाता रहा.
भाभी के होंठ बड़े ही रसीले थे. मैं शब्दों में नहीं बता सकता.
फिर कविता भाभी ने मेरे कपड़े निकाल दिए और मुझे भी नंगा कर दिया.
वे मुझ पर भूखी बिल्ली के जैसी टूट पड़ी थी, ऐसा लग रहा था जैसे वर्षों से प्यासी हों.
हम दोनों किस कर रहे थे, फिर मैं उनके चूचे चूसने लगा.
क्या मस्त बूब्स थे यार … पूछो मत!
कविता भाभी ‘आह अहाहा अहाहा …’ कर रही थीं.
चूचियां चूसते हुए ही मैंने अपनी एक उंगली Xxx हॉट भाभी की चूत में डाल दी और दाने को रगड़ने लगा.
मैं बूब्स भी चूस रहा था और चूत भी रगड़ रहा था.
कविता भाभी को बहुत मजा आ रहा था; वे लगातार आह आह कर रही थीं.
फिर मैंने उनकी नाभि पर किस किया तो वे उछलने लगी थीं.
मैं और नीचे आता गया और धीरे से भाभी की चूत को चाटने लगा.
चूत पर मेरी जीभ को पाते ही वे और जोर जोर से सिसकारियां भरने लगीं ‘आआह यश आह मर गई मैं … आह क्या कर रहे हो आह.’
वे मेरे सर को अपनी चूत पर खुद से दबा रही थीं.
मैंने कुछ मिनट तक उनकी चूत को चूसा तो उनका रस निकल गया.
मैंने चूत का रस चाट लिया. बड़ा ही नमकीन स्वाद था.
Xxx भाभी ने कहा- सच में यश, बहुत मजा आया … आज तक मेरे पति ने नहीं चूसी.
मैंने उनसे लंड चूसने के लिए कहा.
तब उन्होंने झिझकते हुए कहा- मैंने भी कभी नहीं किया है ऐसा, पर आज जरूर करूंगी.
मैंने उनके मुँह में लंड दे दिया.
भाभी ने बहुत जोर जोर से लंड को चूसना शुरू कर दिया.
उनके लंड चूसने से मेरे मुँह से भी आह आह निकलने लगा था.
कुछ देर के बाद भाभी ने कहा- अब ज्यादा इंतजार मत करवाओ यार, मुझे चोद दो … जोर जोर से चोद दो.
मैंने भाभी की गांड के नीचे तकिया लगाया और उनकी चूत में लंड डाल दिया.
वे आह कहती हुई लंड लील गईं और मैं उन्हें जोर जोर चोदने लगा.
कविता भाभी अपनी दोनों टांगें उठाए हुई लंड का मजा ले रही थीं ‘आह आह यश मजा आ गया … आह और जोर जोर से करो मेरी जान.’
वे मुझे चूमने लगीं और दस मिनट में उनका पानी निकल गया.
मैं हॉट भाभी को अभी भी जोर जोर से चोद रहा था.
फिर जब मेरा पानी निकलने वाला था, तब मैंने पूछा- रस कहां डालूँ?
उन्होंने कहा- अन्दर ही छोड़ दो. मैं अपने प्यार का रस महसूस करना चाहती हूँ.
बस 10-15 झटकों साथ में भी डिस्चार्ज हो गया और कविता भाभी के ऊपर ही लेट गया.
कविता भाभी ने मेरे कान में कहा- सुहागरात वाली रात को इतना मजा नहीं आया था, जितना आज आया है. आई लव यू यश.
मैंने भी बोला- लव यू टू कविता डार्लिग.
उस रात मैंने कविता भाभी को कई बार चोदा और बाद में उनकी गांड भी मारी.
उन्होंने पहली बार अपनी गांड मरवाई थी.
यह सिलसिला एक साल तक चला.
फिर मैंने रूम चेंज कर लिया.
दोस्तो, ये मेरी रीयल हॉट भाभी Xxx स्टोरी है. आपको कैसी लगी, मुझे मेल जरूर करें.
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