मेरी बहुत मस्त है. वह 23 साल की है और उनकी अभी तक शादी नहीं हुई है। ये बात करीब 6 महीने पुरानी है। पहले मैं आपको अपनी सेक्सी हॉट दीदी के बारे में कुछ बता दूं। मेरी दी वेइस तो बहुत भोली भाली और सीधी हैं, पर उनका फिगर कसम से। वह 5,6 37,28,36 है….अभी से पूरी वयस्क महिला लगती है। स्कूल में जब मेरी क्लास के बारे में कुछ कहा जाए तो मेरी दीदी पे कमेंट्स मार दें तो मुझे बहुत गुस्सा आता था। मैंने कभी अपनी दी के बारे में ऐसी बातें सोची भी नहीं थी……यह मेरे लिए बिल्कुल अकल्पनीय था। खैर….कॉलेज तक आते आते तो मेरी दीदी की जवानी इतनी पक गई थी क्योंकि थी जैसे पूरा भरा हुआ शराब का लबालब जाम.या फिर दूध का गिलास 😉 या फिर मैं कहता हूं, दूध के 2बरे नंगे जग…. ….मैंने भी धीरे-धीरे दीदी के माप पर ध्यान देना शुरू किया;;उनकी क्लास के लरके दीदी को चोरने कभी-कभी घर आते थे…….लार टपकाते कुत्तों की तरह उनके चक्कर लगते थे…. दीदी को भी उनो तर्पण में मजा आता था. वैसे तो हमारे परिवार पर भी प्रतिबंध है, पश्चिमी पोशाकें तो नहीं पहनी जातीं, लेकिन सूट भी ऐसे ही पहनी जाती हैं, बस… रात में उनके मोबाइल पर कभी-कभी फोन आते थे… ….वो बारी दिलकश आवाज में बात करती थी.मुझे हमेशा आश्चर्य होता था कि किसका फोन होगा…. खैर, बात तब की है जब हम इक बार में और दीदी कहीं जा रहे थे……हमारा ट्रेन का फर्स्ट क्लास का रिजर्वेशन था…. हम जाके ट्रेन में अपनी सीट पे बैठ गए..**** दिन बहुत कम भीड़ थी, दरअसल हमारे बगल के डिब्बे में कोई भी नहीं था… थोरी देर बाद 2 आदमी हमारे कम्पार्टमेंट में आये……दोनो शकल से शरीफ तो नहीं दिख रहे थे…….इक करीब 40 साल का था और दूसरा 35 का होगा….दोनो की नजर आते ही साथ मेरी दीदी पे परी……एयर साले बेचर्मों की तरह मेरी दीदी को घूरे जा रहे थे……जैसे जिंदगी में कभी लरकी देखी ही ना हो……मेरी दीदी ने भी साहसपूर्वक उनकी तरफ देखा और कहा ‘बोलिए’ क्या चाहिए? ‘ ..थोरी सी थी भाषा में इक ने अपना सीट नंबर बताया, वो हमारे ही कंपार्टमेंट में था……मैंने अपनी किस्मत को कोसा कि इनका साथ सफर करना पड़ेगा। और क्या होगा) वो डोनो सामने बैठ गई। मेरी दीद का दुपट्टा थोरा नीचे था (उनका क्लीवेज भी थोरा सा दिख रहा था) और उनकी ब्रा स्ट्रैप नज़र आ रही थी…….बैठते ही डोनो की नज़र मेरी दीदी के दुपट्टे और ‘वहां’ पे ही गई (साले कमीने)… खैर मेरी दीदी इस बात से बेखबर थी और वो नॉर्मली बैठ रही है….उन्हों ने हमसे पूछा कि हम कहां जा रहे हैं, दीदी ने बता दिया…हमारी थोरी बहुत बात हुई…फिर ट्रेन चल परी…दोनों अभी भी चोरी-चोरी दीदी के क्लीवेज को ही देख रहे थे…और दीदी भी आपका दुपट्टा सही नहीं कर रही थी……थोरी देर में, इक आदमी ने कुछ सामान निकाला के बहाने अपना सूटकेस हमारी ऊपर वाली बर्थ पर रख दिया…वो खरा होके ऊपर से मेरी दीदी के क्लीवेज मैं झनकने लगा……साले को वहां से पूरा अंदर तक दिख रहा था.वो करीब 5 मिनट तक मजे लेता रहा…फिर जाके बैठ गया…दोनो ने थोरी देर खुसर फुसर की फिर दूसरा आदमी भी उठा और वही आके खरा हो गया……वो भी मेरी दीदी के क्लीवेज का पूरा मजा लेने लगा…….मैं बता भी नहीं सकता था, अंदर ही अंदर लाल पीला हुआ जा रहा था…दीदी बेचारी को पता भी नहीं था, तभी ट्रेन को इक धक्का सा लगा और मैं और दीदी आगे की तरफ झुक गईं, दीदी का दुपट्टा पूरा नीचे आ गया…दीनी ने नंगे गले का सुइट पहचान हुआ था. जैसे ही वो झुकें, उनका बहुत ज्यादा क्लीवेज दिखने लगा……मैंने देखा तो सामने वाला आदमी मेरी दीदी के क्लीवेज को देख रहा था…….दीदी ने अपना दुपट्टा संभाला और अच्छे से डाल लिया ……. वो दोनों फिर से सामने बैठ गए और हम बातें करने लगे…. वो मेरी दीदी से बात करने की कोशिश करने लगे, मेरी दीदी को भी कोई ऐतराज़ नहीं था…थोरी देर मैं हम सभी बातें करने लगे… बातें करते करते वो इक इक बार दीदी के मस्त फिगर को देख लेते (दीदी जबकि कलर का सूट पहली हुई थी, उनके शरीर के सारे कर्व्स भरपूर दिख रहे थे)….उन्होंने हमसे पूछा कि हम कहां से हैं, और क्या करते हैं…दीदी में उनका ज्यादा इंटरेस्ट था, वो दीदी से पूछने लगे कि वो क्या करती हैं… एम1- बेटी तुम क्या करती हो दीदी- जी मैंने अभी भी अपनी पराही ख़तम की है।
एम1- क्या परी हो बेटी?
दीदी- जी बी.कॉम.
एम1- आगे और पैरोगी या फिर शादी कर लोगी?
दीदी- जी अभी तो और परने का इरादा है, अभी शादी के बारे में सोचा नहीं।
एम1- अरे क्यू (मुस्कुराते हुए), शादी के बारे में मैंने क्यू नहीं सोचा।
दीदी – (मुस्कुराते हुए) जी बस उउही, अभी और परना है, शादी तो कभी ना कभी कर ही लूंगी…
दीदी-ने खा कि थोड़ा सा पानी होगा!! टैब एम1 ने उत्तर दिया: हन अरे!! और अपने लंड पर हाथ फिराने लगा तब दीदी शरमा गई..!!
अब वो लोग हमसे थोड़े खुल गए थे..वो हमें अपने बारे में बताने लगे..बड़ा वाला दयाराम था और छोटा उसका पड़ोसी शिवा था।
मैं जब टॉयलेट से वापस आया तो देखा कि डायरम और शिवा दीदी के दोनों तरफ बैठ गए हैं, और दीदी भी उनसे हंस हंस के बातें कर रही हैं……..मैं आया तो मेरे सामने वाली बर्थ पर बैठ गया। …… बातें करते करते दीदी का दुपट्टा नीचे सरक गया और इनकी ब्रा स्ट्रैप फिर से कांधे पर दिखने लगी, दीदी डायरम से बातें करने में गम थी और शिवा उनके क्लीवेज में झाँक रहा था……. ****ई मेरी परवा भी नहीं थी, डोनो मेरी दीदी की खूबसूरत के दीवाने ही गए थे……….अब बुढ़ों को रोज-रोज 23 साल की जवान खूबसूरत और’ बोल्ड’ लर्की रोज़ रोज़ रो मिलती नहीं होगी…दीदी भी उन्हें खूब मजा दे रही थी……उनकी किस्मत आज जाग गई थी जो मेरी दीदी के साथ इक ही कंपार्टमेंट में रात बोता रहे वो इस मौके का पूरा फायदा उठाना चाहते थे, और मेरी दीदी भी उन्हें भरावा दे रही थी………अब तक दोनो काफी बोल्ड हो चुके ते और खुल के मेरी दीदी के जिस्म को देख रहे थे। ………दयाराम तो बीच में तारीफ भी कर देता था। ‘बेटी, तुम सच में बहुत सुंदर हो’ दीदी- (मुस्कुरा के) ‘सच में? क्या इतने भी सुंदर नहीं हैं” दयाराम- नहीं बेटी, सच में….शिव से पूछ लो’ दीदी- शिव अंकल, क्या दयाराम जी सही बोल रहे हैं? शिव- हां हां, सच ही तो कह रहा है, तुम हो हाय इतनी प्यारी’ (ये कहते हुए, शिवा ने मेरी दीदी के बदन को सिर से लेके पांव तक देखा, फिर दीदी की आंखों में देखा) दीदी उसकी आंखें देख के मुस्कुरा दी- आप दोनों भी ना बस मेरी झूठी तारीफें हाय कर रहे हैं डायराम- अरे नहीं सच, तुम्हारा पति सच में बहुत किस्मत वाला होगा दीदी- अरे क्या सच है? परेगा की क्यूँ?
दीदी मुस्कुरा के शर्मा दी – ‘रहने दीजिए अंकल’ बातें करते करते दयाराम दीदी के घुटने को छू रहा था, दीदी कुछ नहीं बोल रही थी, फिर धीरे-धीरे वो बातें करते करते घुटने के ऊपर हाथ लगाने लगा, उनकी जगह पर हल्के से हाथ फेर देता कोई बात बताने के बहाने…ये देख कर शिवा भी थोड़ा बोल्ड हो गया…वो भी धीरे से दीदी की जांघों को छू देता।
उन लोगों को वहां मेरा होना खटकने लगा…….दयाराम बोला’ बेटा तुम तो क्यों नहीं जाते?’
इसपे दीदी भी बोलीं ‘हां सोनू, तू जाके ऊपर जाके सो जा, मैं अभी अंकल से बातें कर रही हूं’ मैं बोल भी क्या सकता था, वहां बैठे रहने से अच्छा ऊपर जाके सो गया……….पर मैं उनकी बातें चुपके से सुन रहा था, वो मेरी बर्थ के नीचे वाली बर्थ पे ही थे……. अब दयाराम मेरी दीदी की जाँघ पे हाथ रखते हुए बोला- ‘बेटी, तुम तो ये बताओ कि तुम शादी कब करोगे राही हो?’
दीदी- ‘क्यों, आपको मेरी शादी की इतनी चिंता क्यों है?’
डायराम- अरे नहीं बेटी, तुम्हें देख के लगता है कि तुम्हारी शादी अब हो जानी चाहिए’ दीदी- अंकल मैं समझी नहीं, प्लीज जरा खुल के समझिए ना डायराम- ‘बेटी मेरा मतलब है कि अब तुम जवान हो चुकी हो, तुम्हारा मन नहीं करता की तुम्हारा कोई पतो हो, जो तुम्हें प्यार करे?’
दीदी- मन तो करता है अंकल, पर क्या करें, वेट करना पड़ेगा’ डायराम- किस बात का वेट है बेटी?’ (ये कहते हुए, उसने मेरी दीदी को जांघ पे हाथ फिराया) दीदी ने मुस्कुरा के उसके हाथ को देखा और कहा- ‘अंकल, आप नंगे बदमाश हैं, ये क्या कर रहे हैं आप?’
दयाराम- क्या कर रहा हूँ बेटी?’
दीदी आप मेरे कुर्ते में क्या ढूंढ रही हो!! दयाराम का जवाब: मैं तो बटन ढूंढ रहा हूँ!! दीदी: बटन आगे है..!! डायराम :ने अपना हाथ से बटन खोलने लगा..!! और फिर दीदी ब्रा सामने आ गयी..!! फिर उसने दीदी का कुर्ता उतारा..!! और दीदी को अपनी गोदी में सुला दिया.!! और फिर कौन दीदी मम्मे दबाने लगा!! .उसने दीदी के ब्रा भी उतार दी..!!! अब दीदी केवल सलवार और पैंटी में थी..!! फिर किसने दीदी से बोला कि तुम सलवार का नारा खोल दो.!! दीदी हंस पड़ी..!! और फिर दीदी ने अपना नारा खोल दिया..!! अब दीदी केवल पैंटी में थी!! .
दीदी- अच्छा केबिन का दरवाजा लॉक कर दीजिए, कोई आ गया तो?’
ये सुनते ही शिवा ने केबिन का दरवाजा लगा लिया, जब वो खरा हुआ तो उसकी पैंट में उसका लंड काफी खरा हुआ था, जिसने चिपाने की भी कोशिश नहीं की…….दीदी ने इक नज़र हमें तरफ डाली और मुस्कुरा दी।
वहां दयाराम दीदी के जांघ पे अब अच्छे से हाथ फिराने लगा था…शिवा दीदी के बगल में बैठ गया और उसने भी दीदी की जांघ को चुनना शुरू कर दिया….दीदी ने आंखें बंद करके इक आह भारी- उफ्फ…’आप दोनों भी ना…….’ छोरिए ना” बस डिब्बे की लाइट अब बंद हो गई और आवाजें भी धीरे-धीरे आने लगी एल दीदी मन ही मन ये सोच के और ज्यादा एक्साइटेड होने लगी। …. दयाराम दीदी के प्रति बहस उनकी पूरी टांगें सहला रहा था, और दीदी भी उन्हें किसी तरह से रोक नहीं पा रही थी……. वहां शिव जल भुन रहा था की साला दयाराम क्या मजे ले रहा है………साली की टांगें कितनी मुलायम होंगी…….. दयाराम अब अपना हाथ धीरे-धीरे दीदी की चूत के पास मलने लगा……कभी जंघें माल्टा, फिर कभी छूट के ऊपर हाथ फिराने लगता है…दीदी को खूब मजा आ रहा था… दयाराम- ‘कहो बेटी, अच्छे से दबा रहा हूं ना?’
दीदी (शर्माते हुए)- ‘आह,… हम्म..’ दीदी ने अपने हाथ पीछे रखे हुए थे सहारे के लिए, जिनकी उनकी चाटी बाहर की और उबरी हुई थी और उनके नंगे नंगे मम्मे व्हाइट सूट से निकल रहे थे। थे……उनके निपल्स हार्ड हो चुके थे और सुइट के आईपर से भी दिख रहे थे….शिव की आंखें उनके मम्मो पे ही टिकी हुई थी….उनकी डर सांस पे उनके मम्मे ऊपर नीचे ऊपर नीचे हो रहे थे……….शिव से अब नहीं जा रहा था……दीदी ने मुस्कुराते हुए शिव की तरफ नज़र डाली……वहां दयाराम अपने काम में लगा हुआ था……अब दयाराम दीदी के पंजों से अपना लंड भी सहलाने लगा……जैसे ही दीदी को कुछ मुश्किल सा महसूस हुआ उनकी नजर टूट गई हमारी तरफ गई……दयाराम भी बिना झिझके मस्कुराते हुए अपने लंड को ऊपर से ही दीदी के प्यार से सहलाने लगा ……दीदी बस देखती रही…. कह कर दीदी सीधे बैठ गई।
दीदी सोच रही थी- ‘उफ्फ, कितना मजा आ रहा था, ‘ दयाराम- आजो बेटी मेरे पास बैठ जाओ, खिड़की की हवा खा लो’ दीदी सरक के दयाराम के पास आ गई अब दयाराम दीदी को अपनी चिकनी छुपी बातों में फंसने लगा। बीच बीच में दीदी के हसने की आवाजें आ जाती थी, दोनों करीब बैठी थीं इसलिए उनकी आवाजें साफ सुनाई नहीं दे रही थीं… वहां शिव का कुतुब मीनार से कारगिल का बंकर बन चूका था ****की समझ नहीं आ रहा था कि ये हो क्या रहा है… ****ने झल्ला के कहा-‘मैं जा रहा हूं टॉयलेट’ दयाराम- अरे भाई, क्या हुआ तुझे, कहां चला?’
शिवा ने इक नज़र दीदी की तरफ देखा और कहा-‘अब नहीं रहा जाता मुझसे’ दयाराम समझ गया, उसने किसी तरह शिव को समझा और बिठाया, फिर दीदी के पास आके दीदी को समझने लगा दयाराम- सुनो बेटी दीदी- हां बोलिए
दीदी डोनो के बीच में खाली हुई, वो डोनो तो दीदी की जवानी देखते ही रह गए बस….दीदी, सफ़ेद ब्रा पहनी थी, जिनके नंगे नंगे और मुलायम मम्मे इक बारा क्लीवेज बना रहे थे…. ****के नीचे उनकी भारी हुई कमर, जिसका लव हैंडल भी था….उनका थोरा सा निकला हुआ पेट, और गहरा नाभि…….उनके भरे हुए पर मुलायम मुलायम कांधे…… डोनो का जी किया कि तुरंट झपट के दीदी को अपनी बांहों में ले लें…… डोनो की आंखें दीदी की गरम जवानी देख के बस फटी रह गई… डोनो के हाथ खुद ही अपने अपने लंड पर चले गए सहेलें के लिए….दीदी उनका रिएक्शन देख के मुस्कुरा दी, और फिर धीरे से है दी….दीदी-‘क्या देख रहे हैं ऐसे?’
दयाराम-‘तुम्हें पता नहीं बेटी कि हम क्या देख रहे हैं?’
दीदी बस शर्मा दी डोनो, दीदी का बदन ऊपर से लेके नीचे तक देख रहे थे, उनके इक इक कर्व को नंगे ध्यान से देख रहे थे, उनके हर इक कर्व पे नज़र जाते ही लोगों का लंड इक बार फ़र्कता था… … शिव से तो अब रहा नहीं गया… दीदी की सांसें ज़ोर ज़ोर से चल रही थी और वो शिव के रिएक्शन्स को देख नहीं रही थी, क्योंकि उसको देख के लग रहा था कि वो तो अब फट ही जाएगा …….दयाराम समझ गया कि अब मौका आ गया है………..दयाराम ने दीदी का हाथ धीरे से पाकर के अपनी तरफ खींचा—‘यहां आओ बेटी’ उसके बाद दीदी की खड़ी स्थिति में ही अपने हाथ दीदी के बदन पर फिराने लगा…दीदी ने अपनी आंखें बंद कर लीं और इक गहरी आह ली -उफ्फ्फ… दयाराम दीदी को और गरम कर रहा था.. …दीदी कंट्रोम से बहार होती जा रही थी……वहां शिव की बुरी हालत थी…दयाराम ने दीदी की भरपूर कमर को पैकरा और उसके हाथ फिराने लगा।फिर कमर से उनकी गांड कि गोलाई को तरसा..जांघों पे हाथ फिराते हुए ऊपर से हाय चूत को सहलाने लगा………. दयाराम खरा हो गया और दीदी के कान में जा के पूछा- ‘लंड लोगी?’
दीदी अब कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थी……दयाराम ने दीदी की सलवार न नारा ढीला कर दिया और सलवार नीचे गिर परी…….शिव ने तो अपनी आंखें ही बंद कर लीं…. ……दीदी की नंगी टांगें देख लेता तो वही फट जाता……दयाराम ने किसी तरह अपने पे कंट्रोल करते हुए दीदी को पैंटी से मुक्त कराया…….दीदी की चूत इतनी ज्यादा गरम हो चुकी थी कि जब ठंडी हवा वहां पे महसूस हुई तो दीदी ने इक आह भारी……. दयाराम ने दीदी की नंगी गांड को सहलाया और दबाया…… दयाराम-‘ शिवा अपना लंड निकाल ले अब। …और तैयार हो जा ‘शिवा ने किसी तरह अपनी पैंट नीचे की और उसका लंड फटाक से आजाद हो गया…. शिवा ने दीदी को अपनी तरफ खींचा…. और दीदी अपने प्रति उसकी दोनों तरफ रख के उसकी जांघें पर बैठ गईं …….शिवा ने दीदी को अपनी बाहों में लेके पगलों की तरह उन्हें छूमना शुरू कर दिया….दीदी भी आन्हें भरने लगी -‘ आन्ह आन्ह उम्म्ह नहीं उन्ह्ह्ह…….’ शिवा ने अपने लंड को पाकर के दीदी की चूत के मुहाने पे रक्खा……चूत पहले से काफी गिली हो चुकी थी…चूत की गर्मी उसके मूंड पे भी महसू हो रही थी…….. शिवा -‘ ये तो साली ज़बरदस्त गरम है’ दीदी ने मोटे लंड को अपनी चूत के मुहाने पे महसूस किया।
दीदी- ‘अन्ह…’ अनहोने शिव के गले में अपनी बहनें डाल दी और उसका चेहरा अपने सीने से लगा लिया
लिया…….तभी शिवा ने अपना लंड दीदी की चूत में घुसाया…स्लशह…बहुत तेजी से।
दीदी होश खो चुकी थी……उन्हें सिर्फ अपनी चूत की आग और वो मोटा लंड महसूस हो रहा था…. शिवा ने जब टाइट पर गिली चूत में अपना लंड पहली बार डाला तो वो तो मानो स्वर्ग में हाय पहुंच गया…दीदी का मखमली बदन उसकी बाहों में पिगल रहा था….उसने दीदी को चोदना शुरू किया………..और दीदी ने चोदना….अपने लंड को निकल के फिर ऊपर जोर मारता..फिर निकलता, फिर जोर मारता…….थोर देर के बाद ही उसका चरम आ गया और फिर उसने जोर जोर से जोर से मारा के इक जोर के धक्के के साथ दीदी के अंदर पूरा डिस्चार्ज किया……पर जब वो ज़ोर ज़ोर से धक्का मार रहा था तो दीदी की सेहें से ज्यादा मजा हो रहा था……वो इतने मजे को सह नहीं पा रही थी – ‘आआह’ है उफ़ आह आह…’ शिव के डिस्चार्ज के बाद भी दीदी तो अभी भी गरम थी… डायराम अपने पूरे कपरे उतार चुका था……दीदी पलटी को डायरम को पूरा नंगा बदन देख के उनकी मस्ती अपने चरम पे पहिंच गई…….दीदी भूखी आँखों से डायरम के तने लंड को निहार रही थी…… डायराम-‘ आजा, लेगी? ….आज तो तुझे जी भर के चोदुंगा रानी ‘कहते हुए दयाराम ने दीदी का हाथ पाकर के उन्हें अपनी बर्थ पर खींच लिया और दीदी को लिटा के उनकी टांगें फैलायी……….. दयाराम ने अपना लंड सहलाते हुए दीदी के पूरे नंगे बदन को निहारा…सर से लेके पैरों तक दीदी माल ही माल हैं और हमारा वक्त वो दयाराम के सामने पूरी नंगी लेती थी, दयाराम भी पूरा नंगा था.दीदी लेते लेते दयाराम के नंगे बदन और उसके नंगे लंड को देख रही थी, दीदी तो अब पूरी तरह से विनम्र हो गई थी।दीदी की गिली गुलाबी चूत को देख के दयाराम को बारा मजा आ रहा था,…फिर उनको इपर लेटे हुए अपना लंड अंदर डाला….पहले धीरे से…दयाराम ने दीदी के मखमली बदन को अपनी बाहों में ले लिया और उन्हें मसलने लगा ……….****ने दीदी के विशाल मम्मो को अपनी बाहों में समेट लिया और अपनी कठोर चाटी दीदी के मुलायम सीने पे मालने लगा……..दीदी के निपल्स वैसे ही खड़े थे …….****की रागरां से दीदी को मजा ही आ गया…….दीदी-‘आआहह, ऊह,स्स्स….’ उसने दीदी के चेहरे पे चुम्मियां दे दी.. .फिर उसने दीदी को चोदना शुरू किया…. धीरे धीरे-धीरे दीदी को मस्ती करने लगी और उनकी आनहें निकलने लगी- ‘उम्म्ह्ह्ह उम्म्ह् ………उन्हह हन्न आनह ……हम्म हम्म आन्ह आन्ह आआंह …..’ (जब लार्की को चोदने में) मजा आता है तो वो कुछ कहती नहीं है बस ज़ोर से आनहें लेती है………..**** कि आन्हों का मतलब ही होता है कि मुझे और ज़ोर से चोदो) दयाराम और दीदी इस तरह थोड़ी देर तक चुदाई करते रहे फिर दोनों ने क्लाइमेक्स किया…क्लाइमेक्स के वक्त तो दयाराम ने दीदी की गर्मी को देखते हुए अपनी पूरी ताकत ही झोंक दी….****के लंड के दीदी की गीली चूत में घुसने की आवाज तेज-तेज आने लगी…’फच फच फच….’ उसके बाद बाकी की रात में दोनों ने दीदी के और भूलभुलैया के लिए और इक इक बार फिर से उनको चोदा………दीदी भी मस्ती में थी, दोबारा दोनो से जी भर के चुदी…