अपनी प्यारी सहेली के साथ पतियों की अदला बदली
Antarvasna, antervasna, antarvashna, antarwasna, पति की अदला बदली। अपनी सहेकि के साथ पतियों की डलक बक़दलि। बाजार में अचानक मेरी निगाह पूर्णिमा पर पड़ी.. उसे देखते ही मैं जोर से चिल्लाई…
मेरे पति राकेश भी मेरे साथ थे… कहने लगे- यह क्या बेबकूफी है? इतनी जोर से कोई चिल्लाता है?
मैंने कहा- मेरी कॉलेज की दोस्त है पूरे पांच साल बाद मिली है।
हम दोनों बाजार में ही एक दूसरे के गले मिली।
पूर्णिमा भी अपने पति रिशव के साथ थी।
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मेरा घर बाजार के पास में ही था, हम चारों घर लौट आये।
हम दोनों सहेलियाँ एक दूसरी से बातों में चिपक गई।
पिछले पांच साल का एक एक हिसाब लेना था।
कॉलेज में पूर्णिमा मुझसे एक साल सीनियर थी, उसने मेरी रैगिंग ली थी और पहली बार चूत का स्वाद भी चखाया था।
तीन साल की पढ़ाई में हमने सेक्स का हर पाठ पढ़ लिया था।
शादी के बाद पूर्णिमा मुंबई चली गई थी।
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पूर्णिमा कनखियों से राकेश को देख रही थी, मुझसे कहने लगी- ..यार रेनू.. शादी के बाद से एक ही लंड का स्वाद लेते लेते थक गई हूँ, थोड़ी हेल्प कर दे?
मुझे भी पूर्णिमा के पति रिशव में दमखम दिख रहा था।
पूर्णिमा समझ गई, कहने लगी- …यार इन तिलों में तेल नहीं निकलेगा। कितनी भी कोशिश कर ले, रिशव तेरी तरफ देखेगा भी नहीं।
पूर्णिमा की बात को मैंने चुनौती के रूप में लिया, मैंने उससे कहा कि जल्दी ही मैं उसे फोन करूंगी।
पूर्णिमा के जाने के बाद मैंने राकेश से बात की और कहा कि मुझे हारना नहीं है।
मेरी बात सुन कर राकेश ने पूर्णिमा और रिशव को चंडीगढ़ बुलाने को कहा।
इसके कुछ दिन बाद ही हम चारों चंडीगढ़ में थे।
हम दिन भर चंडीगढ़ के नजारे लेते रहे, रात को होटल में लौटे तो राकेश सीधे बाथरूम में घुस गये, नहा धोकर कर तौलिया लपेट कर बाहर आये।
उसके बाद मैं नहाने चली गई, मैं भी तौलिया लपेट कर ही बाहर निकली।
बाहर आकर देखा तो एक सोफे पर राकेश और रिशव बैठे बतिया रहे हैं।
राकेश ने तौलिया ही लपेट रखा था, सामने सोफे पर पूर्णिमा बैठी थी, मैं भी उसके पास बैठ गई।
पूर्णिमा के साथ बैठकर मुझे समझ में आया कि राकेश ने तौलिया इस तरह से लपेट रखा था कि उसका लंड पूर्णिमा को साफ दिख रहा था। मैंने उसे हल्के से कोहनी मारी तो मेरे कान में बोली- ..मस्त लंड है यार, एक बार दिलवा दे?
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मुझे अंदाजा था कि राकेश पूरी तरह से गर्म है।
मैं सोफे से उठी और इस तरह चली कि लड़खड़ा कर गिर गई।
मेरे गिरते ही मेरा तौलिया भी खुल गया था और अब मैं कमरे में पूरी तरह से नंगी खड़ी थी।
पूर्णिमा मुझे देखकर मुस्करा रही थी, शायद वो मेरा प्लान समझ चुकी थी।
मुझे नंगी देखकर राकेश को जोश आ गया, उसने भी तौलिया एक तरफ निकाल फेंका और मुझसे आकर चिपक गया।
मैंने झूठा गुस्सा करते हुए कहा- ..अरे… कमरे में निखिल और पूर्णिमा भी हैं।
राकेश बोला- जिसे शर्म आ रही हो वो अपनी आँखें बंद कर ले। अब मैं तो चोदे बिना मानूँगा नहीं!
राकेश की बात सुनकर रिशव बोला- कर ले भई.. मैं तो आंखे बंद कर लेता हूँ।
लेकिन पूर्णिमा ने भी अपने कपड़े उतार दिये और रिशव पर चिल्लाती हुई बोली- ..आज अगर तुमने नहीं चोदा तो राकेश से चुदवा लूँगी मैं!
रिशव फिर भी आंखे बंद किये रहा तो पूर्णिमा ने कहा- ठीक है राकेश.. रेनू को छोड़ दो.. मेरी चूत तैयार है, नई चूत का मजा लो। पुरानी तो पुरानी हो होती है।
इतना सुनते ही रिशव ने आँखें खोली और बोला- ठीक है पूर्णिमा.. तुम जीती, मैं हारा… और उसने भी अपने कपड़े उतार दिये।
राकेश ने मेरे चूत को चोद चोद कर ढील कर दिया था लेकिन पूर्णिमा की चूत में गजब का कसाव था।
राकेश ने एक निगाह डाली और मेरे कान में बोला- ..एक बार दिलवा दो मेरी जान!
मैंने नंगे खड़े पूर्णिमा और रिशव से कहा- अंदर बाथरूम में जाओ और नहाते हुए सेक्स का मजा लो।
पूर्णिमा को भी मेरा आइडिया पसंद आया और दोनों बाथरूम ने चले गये।
बाथरूम का दरवाजा खुला था, हम भी भीतर पहुँच गये।
रिशव की शर्म काफी हद तक मिट चुकी थी इसलिये उसे हम दोनों के भीतर आने में कोई परेशानी नहीं हुई।
पूर्णिमा ने रिशव को अपनी चूत पर साबुन लगाने को कहा।
रिशव ने लगाने की कोशिश की लेकिन उसे आदत नहीं थी इसलिये राकेश ने कहा- देखो, मैं बताता हूँ कि चूत पर साबुन कैसे लगाया जाता है।
जब तक रिशव कुछ समझता.. राकेश ने साबुन हाथ में लेकर पूर्णिमा की चूत को साफ करना शुरू कर दिया था।
बीच बीच में वो पूर्णिमा की चूत में अपनी उंगली भी डाल रहा था।
पूर्णिमा की सिसकारी निकलने लगी, रिशव से बोली- इससे थोड़ा सीखो… देखो मेरी चूत को भीतर से भी साफ कर रहे हैं।
राकेश ने कहा- ऊंगली से भीतर तक पूरी सफाई नहीं होती है, कुछ और इंतजाम करना पड़ेगा।
अबकी बार उसने अपने लंड पर साबुन लगाया और पूर्णिमा की चूत में डाल दिया, कहने लगा- अब भीतर तक की सफाई हो जायेगी और कोई बीमारी भी नहीं होगी।
बाथरूम में रिशव हक्का बक्का अपनी बीवी पूर्णिमा की चुदाई देख रहा था।
राकेश और पूर्णिमा की रफ्तार बढ़ती जा रही थी, उनके होंठ भी एक दूसरे से मिले हुए थे।
अचानक पूर्णिमा ने राकेश से बिस्तर पर चलने को कहा।
राकेश ने उसे गोद में उठाया और कमरे में चल दिया।
हक्के बक्के खड़े रिशव को जैसे होश आया, वो भी उनके पीछे चलने लगा तो मैंने उसका रास्ता रोका और कहा- मेरी चूत की सफाई कौन करेगा?
रिशव हकबकाया सा बोला- राकेश ही करेगा, उसे आता है।
मैं नीचे की तरफ झुकी और रिशव का लंड अपने मुंह में ले लिया।
उसने छुड़ाने की कोशिश की लेकिन अपने दांतों से उसे पकड़ लिया।
रिशव ने अगली बार कोई कोशिश नहीं की।
नया लंड पीने का अलग ही मजा आ रहा था।
धीरे-धीरे रिशव का लंड फूलने लगा, मेरी चूत भी गीली हो चुकी थी, मुझे पता था कि अनाड़ी रिशव बाथरूम में खड़े होकर मुझे नहीं चोद सकेगा, मैंने उसे कमरे में चलने को कहा।
कमरे का माहौल काफी गर्म था, पूर्णिमा राकेश के ऊपर चढ़ी हुई थी, उसकी गांड इस तरह थिरक रही थी कि देखकर मजा आ गया।मैंने उसी बिस्तर पर रिशव को भी लिटाया और उसका लंड अपनी चूत में डलवा लिया।
अपने पति की हालत को देखकर पूर्णिमा ने राकेश को जोर का झटका दिया और चिल्लाई- ..जय नारी शक्ति…
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